ग़ज़ल
कुछ ना होगा उसे भुलाने से
याद आता है वो बहाने से ।
उसके बारे में सोचता क्यूँ है
फायेदा क्या है दिल दुखाने से ।
वो मुझे छोड़ कर चला जाता
यह ही बेहतर था आजमाने से ।
दोस्तों काम सुलूक देख के अब
कोई शिकवा नहीं ज़माने से ।
ग़म की तौकीर कर के यह दौलत
कम नहीं है किसी खजाने से ।
इश्क करना कोई मजाक नहीं
जाओ पूछो किसी दीवाने से ।
बोझ दिल काम उतर सा जाता है
शेर अपने उसे सुनाने से ।
'दोस्त' कुछ देर के लिए ही सही
दिल बहेलता है मुस्कुराने से ।
दोस्त मोहम्मद
जुलाई 2008
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