Friday, January 16, 2009

3) कुछ ना होगा उसे भुलाने से

ग़ज़ल


कुछ ना होगा उसे भुलाने से
याद आता है वो बहाने से ।

उसके बारे में सोचता क्यूँ है
फायेदा क्या है दिल दुखाने से ।

वो मुझे छोड़ कर चला जाता
यह ही बेहतर था आजमाने से ।

दोस्तों काम सुलूक देख के अब
कोई शिकवा नहीं ज़माने से ।

ग़म की तौकीर कर के यह दौलत
कम नहीं है किसी खजाने से ।

इश्क करना कोई मजाक नहीं
जाओ पूछो किसी दीवाने से ।

बोझ दिल काम उतर सा जाता है
शेर अपने उसे सुनाने से ।

'दोस्त' कुछ देर के लिए ही सही
दिल बहेलता है मुस्कुराने से ।

दोस्त मोहम्मद

जुलाई 2008

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